બુધવાર, 3 નવેમ્બર, 2010

अंततः सत्य की ही विजय होगी

सच पूछा जाए तो, एक व्यक्ति को जो बात स्पष्टतया गलत लगती है, वह दूसरे को एकदम बुद्धिमत्तापूर्ण लग सकती है। वह विभ्रम में हो तब भी अपने को उसे करने से रोक नहीं सकता। तुलसीदास ने सच ही कहा है-
रजत सीप महुं भास जिमि जथा भानु कर बारि।
जदपि मृषा तिहुं काल सोइ भ्रम न सकइ काउ टारि।।
मेरे जैसे आदमियों के साथ, जो संभवतः महान विभ्रम से ग्रस्त हैं, यही होता रहेगा। ईश्वर निश्चित रूप से उन्हें क्षमा कर देग, पर दुनिया को ऐसे लागों को बरदाश्त करना चाहिए। अंततः सत्य की ही विजय होगी।

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