मेरे विचार में
मेरे विचार में, इस संसार में निश्चिंतताओं की आशा करना गलत है-यहां ईश्वर अर्थात सत्य के अलावा और सब कुछ अनिश्चित है। जो कुछ हमारे चारों ओर दिखाई देता है अथवा घटित हो रहा है, सब अनिश्चित है, अनित्य है। बस, एक ही सर्वोच्च सत्ता यहां है जो गोपन है किंतु निश्चित है, और वह व्यक्ति भाग्यशाली है जो इस निश्चित तत्व की एक झलक पाकर उसके साथ अपनी जीवन नैया को बांध देता है। इस सत्य की खोज ही जीवन का परमार्थ है।
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